Wednesday, March 13, 2019

जेजेपी को पार्टी के रूप में मिली मान्‍यता, लेकिन पूरी करनी होगी यह बड़ी शर्त

जेजेपी को पार्टी के रूप में मिली मान्‍यता, लेकिन पूरी करनी होगी यह बड़ी शर्त

दुष्‍यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी को चुनव आयोग ने राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत कर लिया है। इसके साथ ही उसे चुनाव निशान नहीं मिला है। चुनाव चिह्न के लिए आयोग ने बड़ी शर्त लगा दी है। इसके लिए पार्टी को लोकसभा चुनाव में हरियाणा के 10 सीटों में से आधी यान‍ि पांच पर अपने उम्‍मीदवार मैदान में उतारेन पड़ेेेंगे।

बता दें कि पिछले दिनों हुए जींद विधानसभा सीट के उपचुनाव में पार्टी का अधिकृत चुनाव चिह्न नहीं होने के चलते दिग्विजय चौटाला को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरना पड़ा। लोकसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव में एक समान चुनाव चिह्न मिल सकते हैं। लेकिन, चुनाव आयोग ने इसके लिए न्यूनतम पांच संसदीय सीटों पर उम्मीदवार उतारने की शर्त लगाई है। इससे कम उम्मीदवारों की स्थिति में सभी पार्टी प्रत्याशियों को निर्दलीय मानते हुए अलग-अलग चुनाव चिह्न दिए जाएंगे।

चुनाव आयोग ने जेजेपी को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करते हुए यह शर्त लगाई है। इनेलो से अलग होने के बाद सांसद दुष्यंत चौटाला ने 29 नवंबर 2018 को चुनाव आयोग में जननायक जनता पार्टी के नाम से नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन करने के लिए आवेदन किया था।

1 मार्च तक नई पार्टी के नामकरण पर आपत्ति दी जा सकती थी, लेकिन किसी दल ने आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद चुनाव आयोग ने जेजेपी को सियासी दल के रूप में मान्यता देते हुए रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर दिया।
जेजेपी प्रधान को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने साफ किया है कि पार्टी के पंजीकरण के बावजूद अभी उसे स्थायी चुनाव चिह्न नहीं दिया जा सकता। हालांकि, नियमानुसार अगर लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 50 फीसद सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार उतारती है तो सभी प्रत्याशियों को एक समान चुनाव चिह्न आवंटित कर दिए जाएंगे।
इसके साथ ही चुनाव आयोग ने कहा है कि नई पार्टी को कोई झंडा नहीं दिया जा सकता। अगर उसने अपना कोई झंडा निर्धारित किया है तो यह उसकी अपनी जिम्मेदारी होगी। फ्लैग कोड के उल्लघंन पर अगर कोई सियासी दल उसके झंडे को चुनौती देता है तो यह नई पार्टी की जिम्मेदारी होगी।
सांसद दुष्यंत चौटाला के मुताबिक चुनाव आयोग ने 1 फरवरी को जेजेपी को सियासी दल के रूप में पंजीकृत कर लिया है। जल्द ही चुनाव चिह्न मिल जाएगा। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव का नामांकन शुरू होने से पहले ही पार्टी को चुनाव चिह्न मिल जाएगा। जेजेपी सभी सीटों पर पार्टी सिंबल पर प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।

2019 के चुनाव परिणाम के दिन हारने पर यह बोलेंगे CM केजरीवाल

कुमार विश्वास का ट्वीट- 2019 के चुनाव परिणाम के दिन हारने पर यह बोलेंगे CM केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) के वरिष्ठ नेताओं में शुमार कुमार विश्वास का दिल्ली के मुख्यमंत्री का लगातार हमला जारी है। लगातार सीएम केजरीवाल पर हमला करते हुए ट्वीट के जरिये कुमार विश्वास ने बताया कि लोकसभा चुनाव परिणाम के दिन आखिर क्या जवाव देंगे।

यहां पर बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीख रमजान के दौरान घोषित करने से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा था। 
उन्होंने कहा था कि पवित्र रमजान के महीने में तीन चरणों का लोकसभा चुनाव कराना मुस्लिम समुदाय के लिये मतदान को कठिन कर देने की साजिश और भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश है। वहीं, AAP विधायक अमानतुल्ला खान ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसकी काफी आलोचना भी हुई थी।
वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मंगलवार को कांग्रेस के साथ गठबंधन पर कहा कि हम उनके बिना ही दिल्ली में सातों सीटों पर जीत रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि मीडिया में कांग्रेस की तरफ से लगातार गठबंधन की जानकारी आ रही है। हमारे अंदरूनी सर्वे के मुताबिक पूर्ण राज्य के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ जाए बिना सातों सीट जीत रहे हैं।
केजरीवाल ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अभी तक चुनाव में पीएम बनाने के लिए वोट देते थे, इस बार लोग पूर्ण राज्य के लिए वोट देंगे। बीते 70 साल से दिल्ली के लोगों के साथ अन्याय, शोषण और अपमान हो रहा है। वहीं, पीएम मोदी को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि पांच साल में भारतीय जनता पार्टी और पीएम मोदी ने धोखा दिया है।

शांता की ललकार, कांग्रेस में कई तलबगार

Loksabha Election 2019 Himachal, शांता की ललकार, कांग्रेस में कई तलबगार
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही अब कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में टिकट को लेकर हलचल तेज होगी। अब लोगों को भाजपा व कांग्रेस के चुनावी चेहरों का इंतजार है। चुनाव आचार संहिता लागू होने से एक दिन पहले वर्तमान सांसद शांता कुमार लोकसभा चुनाव के लिए ललकार भर चुके हैं। साथ ही कांग्रेस में अभी टिकट के लिए कई तलबगार हैं।
कांग्रेस से कई तलबगार
पूर्व मंत्री जीएस बाली, सुधीर शर्मा, पूर्व सांसद चंद्र कुमार जिला चंबा से पूर्व मंत्री ठाकुर ङ्क्षसह भरमौरी व महिला कोटे से आशा कुमारी ने नामों पर तो चर्चा जरूर है। हालांकि इन नेताओं में से जीएस बाली, सुधीर शर्मा व आशा कुमारी ने टिकट के लिए आवेदन तो नहीं किया है, लेकिन जिला कांगड़ा से यह दो नाम सबसे आगे कांग्रेस के चुनावी चेहरों की फेहरिस्त मेें हैं। अगर पार्टी इस बार प्रदेश में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने पर विचार करती है तो आशा कुमारी को भी मौका दिया जा सकता है, लेकिन अभी पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट नहीं है कि किसके नाम पर कांग्रेस हाईकमान मोहर लगाकर उसे इस चुनावी महासमर में उतारती है। कांग्रेस के इन नेताओं ने भी टिकट की गेंद को पार्टी हाईकमान के पाले में ही फैंका हुआ है, यानि की जिसे पार्टी हाईकमान जिम्मेवारी सौंपती है वह चुनाव मैदान में उतरेगा। यह तो हालात इस समय कांग्रेस के कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के हैं। वहीं अगर भाजपा में टिकट को लेकर बात करें तो शांता द्वारा मोदी को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनाने को लेकर उन्हें कोई भी सौंपी जाने वाली जिम्मेवारी को वह स्वीकार कर इस बार भी लोकसभा के चुनावों में उतरने का मन बनाए हुए हैं। यहां भी बात टिकट को लेकर उन्होंने पार्टी हाईकमान पर ही छोड़ी हुई है। यह भी अब स्पष्ट है कि अगर पार्टी शांता को दोबारा चुनाव मैदान में उतारती है तो वह इस जिम्मेवारी को सर्हष स्वीकार भी करेंगे। फिलहाल चुनावों की घोषणा होने के बाद अब इन 68 दिनों में कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के लिए दोनों ही दलों द्वारा अपने चेहरे साफ किए जाने के बाद चुनावी हलचल बढ़ती रहेगी।

सियासी हंगामों से रायता निकलता है, नतीजा नहीं - कुमार विश्वास की व्यंग्य शृंखला

डॉ. कुमार विश्वास -फाइल फोटो

बोले, ‘ऐसा है भई, मुझे लगा सुबह से जन्मदिन की बधाई समेट-समेट कर बोर हो गए होंगे, तो कुछ नया कह दिया। बाकी जन्मदिन का पता तो पूरी दुनिया को है ही। इधर वालों ने भी ट्वीट किए हैं और उधर वालों ने भी! दोनों तरफ केक काट रिए हो!’ मैंने कहा, ‘अमां हाजी, हर बात में सियासत न घुसेड़ो! निजी शुभकामनाओं का पक्ष-विपक्ष से क्या काम?’ हाजी नरम पड़े, ‘अरे नाराज न हो महाकवि! अच्छा जाने दो।
ये बताओ कि इतने लोग आए थे जन्मदिन पर। कुछ सर्वे-वर्वे किया? कुछ हवा का अंदाजा लगाया?’ मैंने पूछा, ‘फिर वही बात! मेहमानों से ये सब थोड़ी पूछूंगा मैं। तुम बताओ, क्या नतीजा निकला ममता दीदी के हंगामे का?’ हाजी हंसे, ‘अभी तो कह रहे थे कि मेहमानों से राजनीति की बात नहीं करते। अब मुझसे ही पूछ रहे हो। रही ममता दीदी के हंगामे की बात, तो सियासी हंगामों से रायता निकलता है, नतीजा नहीं।
अपना वाला भूल गए? वैसे अब आंदोलन में वो मजा नहीं रहा महाकवि! लोग तो कम जुटते हैं, नेता ज्यादा जुट जाते हैं। ऐसे में आंदोलन कम, शेरी नशिस्त का फील ज्यादा आता है। ऊपर से टेंट का पर-हेड बजट गड़बड़ा जाता है। अब कुछ नया सोचना होगा नेताओं को वरना कैंपेन कैसे करेंगे? वैसे प्रधानमंत्री जी का ठीक है। जहां मौका है वहां तो बोल ही रहे हैं, जहां मौका नहीं है वहां मौका बना रहे हैं। लेकिन बेचारे अकेले कितना बोलें? 
उनके साथ समस्या ये है कि वो ऐसे बैंड के लीड सिंगर हैं, जिसमें गिटारिस्ट ढोल पीट रहा है, की-बोर्डिस्ट तबला ठोंक रहा है और ढोल बजाने वाला बांसुरी फूंक रहा है। अब ऐसे में जनता कान न बंद करे तो क्या करे? बताओ, जनता क्यों आए!’ मैं हाजी से और ज्यादा सुनना चाहता था, ‘तो भाई, जब जनता सुनेगी नहीं तो फैसला कैसे करेगी?’
हाजी ने लगभग माथा ठोंका, ‘एक बात बताओ महाकवि! तुम्हें लगता है कि इनमें से कोई भी नेता कुछ भी ऐसा बोल रहा है कि जिसे सुन कर इन्हें वोट देने या न देने का फैसला किया जाना चाहिए? जाने दो दोस्त। इनकी तो सुनो ही मत। बजने दो इनके भोंपू और कान में तेल डाल कर सो जाओ! वो क्या कहते तो तुम...
‘रात भर नाची नर्तकी अंधों के दरबार में’

यह मामला शीश का भी है और दिलों का भी- कुमार विश्वास की व्यंग्य शृंखला

डॉ. कुमार विश्वास, व्यंग्यकार
‘कोई इलाज नहीं है महाकवि इन सब का?’, प्रत्येक देशवासी की तरह हाजी पंडित भी दुःख और गुस्से के मिले-जुले भाव में दिख रहे थे। मैंने कहा, ‘इलाज तो है। लेकिन कोई करने को तैयार तो हो!’ हाजी बिना आंखें उठाए जानने को उत्सुक हुए, ‘लेकिन शुरू कहां से करें?’ रोष मुझमें भी बहुत था, ‘मैंने तो ट्वीट भी कर दिया हाजी।

सवाल बड़ा है और उसको एड्रेस करने के लिए समय और इच्छाशक्ति दोनों की जरूरत है। लेकिन कम से कम शुरुआत करने के लिए देश में रहकर देश बांटने की मानसिकता रखने वाले इन अलगाववादियों और हमारे टैक्स के पैसों पर पल रहे कुछ दोमुंहे नेताओं के पृष्ठ भाग पर भीषण पद-प्रहार कर इनके वांछित नरक पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए, जहां इन्हें लोकतंत्र का मतलब पता चल जाएगा।’
हाजी ने स्वीकार में सिर हिलाया लेकिन शायद एक-दूसरे से नजरें मिलाने की हिम्मत हम दोनों में ही न थी। हाजी बोले, ‘हां, शायद उन पर कुछ एक्शन लिया तो है सरकार ने। मैंने भी किसी से सुना भर है, महाकवि। अखबार पढ़ने की हिम्मत तो अब भी नहीं हो रही।’ 
हाजी अचानक चौंककर बोले, ‘तुमने अपने वी द नेशन वीडियो में इस बात का जिक्र भी किया था न? मुझे याद आ रहा है कुछ ऐसा कहा था तुमने।’ मुझे याद था, ‘हां हाजी! कहा तो मैंने तब ही था कि देश की एकता की खिलाफत करने वाले इन तमाम तथाकथित नेताओं को काहे को सुरक्षा? इन्हें देश में किस से खतरा है? बल्कि देश को ही इनसे खतरा है। इनकी सुरक्षा वापस लेने का काम तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। और वो मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा था। क्यों जरूरत है उसकी भई? ऐसा क्या है पाकिस्तान में जो इस पार नहीं आएगा तो हमारी जान को आफत हो जाएगी? 
सबसे बड़ी बात तो ये है हाजी, कि कब तक धूल को कालीन के नीचे सरकाकर हम आंख बंद किए बैठे रहेंगे। एक बार जी-जान लगाकर, सब लोगों को ध्यान में रखकर एक मजबूत कदम उठाया जाए और फिर देखते हैं कौन देश के बेटों की तरफ नजर उठाकर देखता है।’
हाजी ने पहली बार नजर उठाई, ‘ठीक कहते हो महाकवि! एक बार सोच-समझकर ऐसा कदम उठा ही लिया जाना चाहिए कि दुनिया भर को संदेश चला जाए कि हम इतने आसान नहीं हैं जैसा कुछ लोग समझने की गलती करते रहे हैं। बस यही है कि सबका ध्यान रखकर फैसला लेना होगा। मामला शीश का भी है और दिलों का भी। उदय प्रताप जी का शेर सुनाते हो न तुम
‘सब फैसले होते नहीं सिक्के उछाल के
ये दिल के मामले हैं, जरा देख भाल के’

अन्नाद्रमुक एनडीए में शामिल : तमिलनाडु में भाजपा 5, अन्नाद्रमुक 27 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

  • चेन्नई में मंगलवार को तमिलनाडु के डिप्टी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम ने अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन का ऐलान किया।
  • तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें, 7 सीटें पीएमके को भी दी गईं
  • केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और डिप्टी सीएम पन्नीरसेल्वम ने गठबंधन की घोषणा की
  • भाजपा तमिलनाडु की 21 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में अन्नाद्रमुक को समर्थन देगी
  • पिछले लोकसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक ने 39 में से 37 सीटें जीती थीं

चेन्नई. अन्नाद्रमुक मंगलवार को एनडीए में शामिल हो गई। अब तमिलनाडु में भाजपा, अन्नाद्रमुक और पीएमके मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने मंगलवार को यहां यह ऐलान किया। इस दौरान अन्नाद्रमुक के सह संयोजक और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे।
तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं। भाजपा राज्य की पांच और अन्नाद्रमुक 27 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। सात सीटें पीएमके को दी गईं हैं। भाजपा-अन्नाद्रमुक के गठबंधन से पहले मंगलवार को ही अन्नाद्रमुक और पीएमके में भी सहमति बनी। पिछले लोकसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक ने 39 में से 37 सीटें जीती थीं। गठबंधन की शर्तों के मुताबिक, भाजपा को राज्य की 21 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अन्नाद्रमुक को अपना समर्थन देना होगा।
एक मार्च को राज्य में मोदी की रैली
गठबंधन का ऐलान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में होना था, लेकिन वे नहीं आ सके। अब एक मार्च को कन्याकुमारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली है। उसमें दोनों दलों के नेता मंच साझा करेंगे।
अन्नाद्रमुक और पीएमके में सहमति बनी
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अन्नाद्रमुक और पीएमके के बीच भी सहमति बनी है। इसका ऐलान भी मंगलवार को किया गया। अन्नाद्रमुक ने पीएमके को लोकसभा की सात सीटें दी हैं। इसके अलावा एक राज्यसभा सीट भी उसे मिलेगी। पीएमके नेता रामदास ने अन्नाद्रमुक के समक्ष जो मांगें रखी हैं, उनमें कावेरी डेल्टा में मौजूद जिलों को संरक्षित कृषि क्षेत्र का दर्जा देने, तमिलनाडु में जाति आधारित जनगणना कराने और राजीव गांधी की हत्या के सात दोषियों को छोड़ा जाना शामिल है।
डीएमडीके के साथ भी गठबंधन कर सकती है अन्नाद्रमुक
अन्नाद्रमुक अभिनेता से नेता बने विजयकांत की पार्टी डीएमडीके के साथ भी गठबंधन की संभावना को तलाश रही है। एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि इसके बाद स्पष्ट तौर पर पता चल पाएगा कि अन्नाद्रमुक और भाजपा के बीच सीटें किस अनुपात में बांटी जाएंगी।

महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना में गठबंधन, भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर लड़ेगी

  • bjp shiv sena alliance in maharashtra news and update
  • शाह ने कहा- सारे मनमुटाव खत्म हो गए, उद्धव बोले- गलतफहमियां दूर हुईं
  • महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें, 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों दल साथ लड़े थे
  • फडणवीस ने कहा- पिछला विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने अलग-अलग लड़ा, लेकिन इस बार मिलकर लड़ेंगे

मुंबई. भाजपा-शिवसेना के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में इसका ऐलान किया। राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उद्धव ने कहा कि हमारे बीच गलतफहमियां थीं, लेकिन अगर ये बनी रहतीं तो इसका फायदा वो लोग उठा लेते, जिनसे हम 50 साल से लड़ते आ रहे हैं। शाह ने कहा- हमारे बीच जो भी मनमुटाव थे, वे खत्म हो गए हैं।
48 में से 45 सीटें जीतेगा गठबंधन- शाह
  • भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि मैं दोनों दलों के कार्यकर्ताओं से कहना चाहता हूं कि भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दल शिवसेना और अकाली दल हैं। इन दोनों दलों ने हर परिस्थिति में हमारा साथ दिया है। अगर हमारे बीच थोड़ा मनमुटाव था जो आज इसी क्षण, इसी टेबल पर खत्म हो गया है। 
  • उन्होंने कहा- यह केवल एक राजनीतिक गठबंधन नहीं है। यह सैद्धांतिक गठबंधन भी है। कुछ दिन पहले मैंने पुणे में भी कहा था कि महाराष्ट्र की 48 में से 45 सीटें हमारा गठबंधन हासिल करेगा। मैं यही बात दोहराना चाहता हूं।
ठाकरे ने कहा- राम मंदिर हमारा साझा मुद्दा
  • शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, "पिछले हफ्ते पुलवामा हमले में जो शहीद हुए, उनकी शहादत बर्बाद नहीं जाएगी, ऐसी उम्मीद है। पाकिस्तान के खिलाफ ठोस कार्रवाई होगी, ऐसी हमारी अपेक्षा है।"
  • उद्धव बोले- पिछले पांच साल से यह सवाल था कि हमारा गठबंधन है या नहीं, लेकिन एक मार्गदर्शक के तौर पर मैं कई बातें कह रहा था। हमने कई मुद्दे उठाए थे। खासकर किसानों का मुद्दा था। इस पर सहमति बन गई है। राम मंदिर का मुख्य मुद्दा दोनों दलों के बीच कॉमन था। अब केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में एक याचिका दायर कर दी है।
  • उन्होंने कहा- हमारे बीच मतभेद रहे हैं, लेकिन हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अगर गलतफहमियां बनी रहेंगी तो उन लोगों को मौका मिल जाएगा, जिनके खिलाफ हम पिछले 50 साल से लड़ते आए हैं।
मतभेद रहे, लेकिन दोनों दल हिंदुत्ववादी- फडणवीस
  • महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा और शिवसेना देश की राजनीति में 25 साल से एक साथ हैं। कुछ समय तक हमारे बीच मतभेद रहे, लेकिन सैद्धांतिक रूप से दोनों हिंदुत्ववादी पक्ष हैं। इसलिए इनके विचार एक से हैं। पिछले साढ़े चार साल से हम केंद्र और राज्य में एक साथ हैं।
  • उन्होंने कहा, "लोकसभा चुनाव में भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर लड़ेगी। विधानसभा चुनाव में दोनों दल बाकी सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ने के बाद बची हुई आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अब हम दोनों दलों के बीच कोई मतभेद नहीं हैं। हमने कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा कर ली है।" 
  • "महाराष्ट्र में किन्हीं कारणों से पिछले विधानसभा चुनाव में हम साथ नहीं रह पाए। लेकिन, केंद्र और राज्य में एनडीए के माध्यम पर हमने मिलकर सरकार चलाई है।"
  • "शिवसेना की तरह भाजपा भी मूल रूप से मानती है कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना चाहिए। किसानों के मुद्दे पर भी हमारी बातचीत हुई है। हमने 50 लाख किसानों को महाराष्ट्र में कर्ज माफी दी है। जो किसान बचे हैं, उन्हें भी इसका लाभ देने का निर्णय हमने लिया है।"
पिछला लोकसभा चुनाव दोनों दलों ने साथ लड़ा था
2014 का लोकसभा चुनाव दोनों दलों ने साथ लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा 24 और शिवसेना 20 सीटों पर लड़ी थी। उस वक्त गठबंधन में शामिल राजू शेट्टी की स्वाभिमानी पक्ष को दो सीटें मिली थीं। जबकि, एक-एक सीट राष्ट्रीय समाज पक्ष और रामदास अठावले की आरपीआई को दी गई थी। शेट्टी गठबंधन से अलग हो गए हैं। हालांकि, इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना एनडीए से अलग हो गई, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद उसने भाजपा काे समर्थन दिया और गठबंधन सरकार बनी। हालांकि, दोनों दलों के बीच रिश्ते पिछले पांच साल में तनावपूर्ण रहे हैं। शिवसेना कई बार यह खुलकर कह चुकी थी कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।
पालघर सीट पर उपचुनाव के दौरान भी कड़वाहट बढ़ी थी
बताया जा रहा है कि भाजपा पालघर लोकसभा सीट छोड़ने के लिए तैयार है। 2018 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। यह सीट भाजपा सांसद चिंतामन वनगा के निधन से खाली हुई थी। हालांकि, उनके बेटे श्रीनिवास वनगा ने शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्हें भाजपा के राजेंद्र गावित ने हरा दिया।